कृषि महाविद्यालय में पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया अक्ती तिहार
बिलासपुर, 30 अप्रैल:
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र तथा कृषि विज्ञान केंद्र, बिलासपुर के संयुक्त तत्वावधान में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर पारंपरिक छत्तीसगढ़ी पर्व अक्ती तिहार को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की गहरी कृषि परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक सराहनीय पहल रहा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर के अधिष्ठाता डॉ. एन.के. चौरे ने कहा कि “अक्ती तिहार केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारी कृषि जीवनशैली से जुड़ा एक प्रेरक प्रसंग है। यही वह दिन है जब नई फसल की तैयारी शुरू होती है और एक नए कृषि चक्र की शुरुआत होती है।” उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि परंपरागत खेती और जैविक पद्धतियों को फिर से अपनाना समय की मांग है और यही सतत कृषि का आधार है।
इस अवसर पर महाविद्यालय परिसर में पारंपरिक पूजा-अर्चना की गई और बीज बुवाई की रस्म अदा की गई। बुवाई में जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट और गोमूत्र जैसे प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग का संकल्प लिया गया, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिल सके।
कार्यक्रम में महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र तथा कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी, वैज्ञानिक, प्राध्यापक, कर्मचारी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। आयोजन ने पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक कृषि विज्ञान के समन्वय की दिशा में एक सकारात्मक संदेश दिया।
(रिपोर्ट: NEWS 1947 | बिलासपुर )
