-->
Type Here to Get Search Results !
ब्रेकिंग न्यूज़

कोणार्क सूर्य मंदिर के गर्भगृह का रास्ता मिला, 122 साल बाद शुरू हुई रेत हटाने की प्रक्रिया

 




पुरी। विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर के गर्भगृह को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 122 साल बाद गर्भगृह तक पहुंचने का रास्ता ढूंढ लिया है। एएसआई के सुपरिन्टेंडेन्ट डी.बी. गडनायक ने बताया कि 9 मीटर की ड्रिलिंग के बाद गर्भगृह की ओर जाने वाला रास्ता मिल गया है।

17 इंच की कोर ड्रिलिंग से खुला रहस्य

मंदिर की दीवारों की मजबूती जानने के लिए 17 इंच की कोर ड्रिलिंग की जा रही थी। पश्चिम दिशा की पहली पिंढ़ी पर 16 इंच की पाइप से नो-वाइब्रेशन तकनीक के जरिए 9 मीटर की ड्रिलिंग की गई।
ड्रिलिंग के दौरान 8 मीटर तक पत्थर और उसके बाद रेत मिली। विशेषज्ञों के अनुसार 8 मीटर तक ठोस पत्थर का मिलना यह दर्शाता है कि मंदिर अभी भी बेहद मजबूत और सुरक्षित स्थिति में है।

अब वैज्ञानिक रेत हटाने की आगे की प्रक्रिया परीक्षण के बाद शुरू करेंगे।

122 साल बाद फिर खुला गर्भगृह का रास्ता

13वीं शताब्दी में निर्मित इस ऐतिहासिक सूर्य मंदिर के गर्भगृह को 1903 में ब्रिटिश शासन ने संरचनात्मक कारणों से पूरी तरह रेत और पत्थरों से भरकर सील कर दिया था। तब से यह मार्ग 122 वर्षों से बंद था।

सोमवार से एएसआई ने पारंपरिक विधि-विधान के साथ गर्भगृह में भरी रेत हटाने की प्रक्रिया शुरू की है।

4×4 फुट की सुरंग बनाकर शुरू हुआ काम

ASI की विशेषज्ञ टीम ने प्रथम मंडप के पश्चिमी हिस्से में 4 फुट × 4 फुट की सुरंग बनाकर रेत हटाने का कार्य किया। इसी दौरान दीवारों की मजबूती जांचने के लिए कोर ड्रिलिंग भी की गई।

यह पूरी प्रक्रिया एएसआई अधीक्षक डी.बी. गड़नायक और क्षेत्रीय निदेशक दिलीप खमारी की निगरानी में हुई।
करीब 10 विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के अंदरूनी ढांचे और दीवारों की संरचनात्मक स्थिति की बारीकी से जांच की।

महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक कदम

कोणार्क सूर्य मंदिर भारत की धरोहर है और यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल है। गर्भगृह का रास्ता मिलने और रेत हटाने की प्रक्रिया शुरू होने को ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.