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कंटोला - एक प्राकृतिक औषधि का भंडार...औषधीय गुणों से भरपूर यह अनदेखी सब्जी अब बन रही है स्वास्थ्य का प्रहरी...

कंटोला -  एक प्राकृतिक औषधि का भंडार

औषधीय गुणों से भरपूर यह अनदेखी सब्जी अब बन रही है स्वास्थ्य का प्रहरी

बिलासपुर - कंटोला जिसे स्थानीय भाषाओं में काकोड़ा, मीठा करेला, खेखसी या कंटोला कहा जाता है, खेखसी परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। यह मानसून आधारित बेलनुमा पौधा है, जो पर्वतीय एवं आर्द्र क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है।

पारंपरिक रूप से उपयोग की जा रही यह वनस्पति अब वैज्ञानिक दृष्टि से भी एक मूल्यवान पौधा सिद्ध हो रहा है। इसके फल, पत्तियाँ और बीज, सब में औषधीय गुण मौजूद हैं।

पोषण मूल्य: शरीर के लिए एक संपूर्ण पैकेज

कंटोला में संतुलित पोषण तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है। एक अध्ययन के अनुसार 100 ग्राम ताजा कंटोला में निम्नलिखित पोषक तत्व पाए जाते हैं:

पोषक    तत्व मात्रा (100 ग्राम में)

ऊर्जा    - 17 किलोकैलोरी
प्रोटीन - 3.1 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट - 5.8 ग्राम
फाइबर - 2.5 ग्राम
कैल्शियम - 46 मिलीग्राम
आयरन - 1.6 मिलीग्राम
जिंक - 1.1 मिलीग्राम
मैग्नीशियम - 35 मिलीग्राम
विटामिन C - 38 मिलीग्राम
विटामिन B कॉम्प्लेक्स - उपयुक्त मात्रा

विशेषता

कंटोला लो-कैलोरी, हाई-न्यूट्रिएंट सब्जी है। इसमें एन्टीऑक्सिडेंट्स, फ्लैवोनॉइड्स और सैपोनिन्स जैसे रसायन भी पाए जाते हैं जो शरीर को रोगों से लड़ने में मदद करते हैं।

औषधीय गुण: कंटोला एक प्राकृतिक चिकित्सक

कंटोला के फल और पत्तियों में पाए गए यौगिकों के कारण यह कई रोगों में कारगर है। निम्नलिखित बीमारियों में यह सहायक माना गया है:

बीमारी प्रभावी तत्व कार्यप्रणाली

- मधुमेह  - फ्लैवोनॉइड्स, टेरपेनॉइड्स ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित करता है
- उच्च रक्तचाप - पोटैशियम, मैग्नीशियम रक्त वाहिनियों को फैलाता है
- कैंसर - एंटीऑक्सिडेंट्स कोशिकीय क्षति को रोकता है
- सर्पदंश - विषहर औषधीय गुण - विष के प्रभाव को कम करता है
- पीलिया, ज्वर, पाइल्स - फाइबर व औषधीय रसायन यकृत एवं पाचन क्रिया को सुधारता है
- खांसी, खुजली, कानदर्द - विटामिन C व एन्टी-इंफ्लेमेटरी तत्व सूजन व संक्रमण में राहत देता है
- कंटोला में हिपोग्लाइसेमिक और हैपाटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं।

कृषि संभावनाएँ: सीमित क्षेत्र से व्यापक विस्तार तक

कंटोला की खेती भारत के पूर्वी, मध्य और उत्तरी हिस्सों में पारंपरिक रूप से की जाती रही है। छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में यह वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाई जाती है।

खेती की विशेषताएँ:

- कम जल की आवश्यकता
- कीट-प्रतिरोधी प्रकृति
- जैविक खेती के लिए उपयुक्त
- औषधीय एवं सब्जी दोनों उपयोग
- अनुमानित उपज: 6–8 टन प्रति हेक्टेयर
- खेती अवधि: जून–अक्टूबर (मानसून आधारित)

बाजार विश्लेषण: मांग अधिक, आपूर्ति सीमित

बिलासपुर, अंबिकापुर, रायपुर जैसे शहरों में कंटोला की मांग तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में यह सब्जी ₹300 से ₹320 प्रति किलोग्राम की दर से बिक रही है। परंतु इसकी आपूर्ति केवल मांग की 40% तक ही सीमित है।

यह एक संकेत है कि यदि कंटोला की संवर्धन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन की दिशा में कार्य किया जाए, तो यह आर्थिक रूप से लाभकारी नकदी फसल बन सकती है।

स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधि गुण से भरपूर अद्भुत पौधा

कंटोला केवल एक सामान्य सब्जी नहीं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और औषधीय गुणों से युक्त एक अद्भुत पौधा है। वर्तमान स्वास्थ्य-संक्रमित समय में यह आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में सशक्त योगदान दे सकता है एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आय का नया स्रोत बन सकता है तथा वन आधारित पोषण और आजीविका सुरक्षा में सहायक सिद्ध हो सकता है। आवश्यकता है कि कृषि वैज्ञानिक, उद्यानिकी विभाग और स्वास्थ्य क्षेत्र इस पर संयुक्त रूप से कार्य करें।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर (छ.ग.)

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