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छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी का कहर: 44°C पार, 11 जिलों में येलो अलर्ट, वनों के संरक्षण पर जोर



छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी का कहर: 44°C पार, 11 जिलों में येलो अलर्ट, वनों के संरक्षण पर जोर

बिलासपुर | न्यूज 1947
छत्तीसगढ़ में गर्मी ने इस वर्ष सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अप्रैल 2025 के अंतिम सप्ताह में तापमान कई जिलों में 44 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुँच गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने राज्य के 11 जिलों में येलो अलर्ट जारी करते हुए लू से सतर्क रहने की चेतावनी दी है।

तापमान के आंकड़े और प्रभावित जिले

  • दुर्ग: 44.2°C
  • बिलासपुर: 43.7°C
  • रायपुर: 43.2°C
  • रायगढ़: 42.8°C
  • बलौदाबाजार: 42.5°C
  • कोरबा: 42.0°C

येलो अलर्ट वाले जिले: दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, बलौदाबाजार, बेमेतरा, सक्ती, कबीरधाम, मुंगेली, कोरबा, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, सरगुजा-बिलाईगढ़

लू के प्रभाव से बढ़ा स्वास्थ्य संकट

हीटवेव के चलते बुजुर्ग, बच्चे, किसान और मजदूर सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार:

  • बुजुर्गों में 30% जोखिम बढ़ा।
  • बच्चों में 25% अधिक खतरा।
  • श्रमिकों और किसानों में 20% प्रभावित होने की संभावना।
  • गर्भवती महिलाओं में 15% अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता।

सरकारी तैयारी और दिशा-निर्देश

  • राज्य सरकार ने स्कूलों में ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ 25 अप्रैल से लागू कर दी हैं।
  • स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट पर रखा है।
  • आमजन को सलाह दी गई है कि दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे तक अनावश्यक बाहर न निकलें।
  • पानी, नींबू पानी और छाछ का सेवन बढ़ाने की अपील।

वनों का संरक्षण: गर्मी से बचाव का स्थायी समाधान

वन विशेषज्ञ अजीत विलियम्स के अनुसार, वनों का कटाव स्थानीय जलवायु असंतुलन का बड़ा कारण है। उनका कहना है:

"वन प्राकृतिक वातानुकूलक के रूप में कार्य करते हैं। अगर हर गाँव, हर खेत के पास छोटे वनों का विकास किया जाए, तो तापमान में उल्लेखनीय गिरावट लाई जा सकती है।"

वन:

  • कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर तापमान नियंत्रित करते हैं।
  • छाया और नमी प्रदान कर हीटवेव के प्रभाव को कम करते हैं।
  • भू-जल स्तर को संतुलित रखते हैं।

नागरिकों के लिए हीटवेव से बचाव के सुझाव

  • हल्के रंग के सूती कपड़े पहनें।
  • सिर को टोपी, गमछा या छाते से ढकें।
  • बाहर निकलने से बचें, विशेषकर दोपहर के समय।
  • लगातार पानी पिएं।
  • बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें।


छत्तीसगढ़ में मौजूदा भीषण गर्मी और लू की स्थिति सिर्फ एक मौसमी चुनौती नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की गंभीर चेतावनी है। आज वनों के संरक्षण और बढ़ोत्तरी को यदि प्राथमिकता दी जाए, तो आने वाले वर्षों में इस तरह की आपदाओं से बचाव संभव है। सरकार, समाज और नागरिकों को मिलकर भविष्य सुरक्षित बनाना होगा।


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