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प्रायोगिक फसल उत्पादन में तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा 20 दिन पुरानी धान नर्सरी की पगहा खेत में रोपाई कार्य संपन्न

प्रायोगिक फसल उत्पादन में तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा 20 दिन पुरानी धान नर्सरी की पगहा खेत में रोपाई कार्य संपन्न

बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर की पहल

बिलासपुर, 01 जुलाई 2025 – बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर के बी.एस.सी. (कृषि) तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रायोगिक फसल उत्पादन पाठ्यक्रम के अंतर्गत आज 20 दिन पुरानी धान की नर्सरी की तकनीकी रूप से पगहा खेत में रोपाई कार्य सफलता पूर्वक संपन्न किया गया।

इस व्यावहारिक पाठ्यक्रम का संचालन डॉ. दिनेश पांडे, वैज्ञानिक (एग्रोनॉमी) के मार्गदर्शन में किया गया। छात्रों ने वैज्ञानिक विधियों के अनुसार नर्सरी की सावधानीपूर्वक निकासी की और उसे रोपाई हेतु पगहा खेत में नियमानुसार स्थापित किया।

इस अवसर पर डॉ. पांडे ने बताया कि –
- 20 से 25 दिन की आयु वाली नर्सरी रोपाई हेतु सर्वोत्तम मानी जाती है।
- पगहा खेत जल संरक्षण, पौध वृद्धि एवं खरपतवार नियंत्रण में सहायक होता है।
- रोपण की दूरी, गहराई और जड़ों की सतर्कता से संभालना, उपज वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

छात्रों ने पूरे उत्साह के साथ कार्य में भागीदारी की तथा खेत तैयार करने, नर्सरी की निकासी एवं रोपाई तक के सभी चरणों में सक्रिय सहभागिता दिखाई।

महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एन.के. चौरे ने कहा कि –
ऐसे व्यावहारिक पाठ्यक्रम छात्रों को कृषि की वास्तविक परिस्थितियों से जोड़ते हैं और उन्हें व्यवहारिक दक्षता तथा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करते हैं।

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