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निर्गुण्डी की पत्तियों सेवन से दूर होती है, स्लिप डिस्क और साईटिका जैसी बीमारियां

निर्गुण्डी की पत्तियों सेवन से दूर होती है, स्लिप डिस्क और साईटिका जैसी बीमारियां

बिलासपुर- निर्गुण्डी की पत्तियाँ, फूल और फल। फिर से याद किए जा रहे हैं। याद इसलिए क्योंकि स्लिप डिस्क, सूजन और सिरदर्द जैसी स्वास्थ्यगत समस्याएं बढ़ रहीं हैं। यही वजह है कि आयुर्वेदिक औषधि निर्माण ईकाइयों की मांग में जोरदार इजाफा देखा जा रहा है। 

कोरोना महामारी के दौरान जिन औषधियों के सेवन को अहम माना गया था, उनमें एक नाम निर्गुण्डी का भी था। तीन बरस बाद फिर से मांग ने बाजार में दस्तक दे दी है। बड़ी परेशानी यह है कि मांग की तुलना में उपलब्धता बेहद कम है इसलिए वनांचलों और संग्राहकों से संपर्क बढ़ाया जा रहा है। 

इसलिए पत्तियाँ

फूल और फलों में भी महत्वपूर्ण औषधिय गुण होते हैं लेकिन पत्तियाँ इसलिए अहम मानी गई हैं क्योंकि पत्तियों का पेस्ट सूजन और दर्द कम करता है। आम बीमारियों में शामिल हो चुकी स्लिप डिस्क जैसी गंभीर स्वास्थ्यगत समस्या दूर करने में सक्षम है निर्गुण्डी की पत्तियां। जोड़ों के दर्द में इसका सेवन काढ़ा के रूप में किए जाने के कारगर परिणाम मिले हैं। 

राहत  इनमें भी

सिरदर्द, छाले, पेट दर्द, अपच, साइटिका, मोच और बुखार। यह ऐसी स्वास्थ्यगत समस्याएं हैं, जो आम हो चली हैं। दवाएं हैं तो सही, लेकिन स्थाई राहत नहीं देते। ऐसे में निर्गुण्डी की पत्तियां याद की जा रहीं हैं क्योंकि  यह स्थाई राहत प्रदान करने में सक्षम मानी गई है। रस का सेवन 10 से 20 मिलीग्राम और चूर्ण की मात्रा 3 से 6 ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। 


जानिए निर्गुण्डी को

रोपण विधि से नहीं लगाए जा सकते निर्गुंडी के पौधे। उपयुक्त भूमि और उपयुक्त जलवायु में खुद से तैयार होती है यह प्रजाति। झाड़ीनुमा पेड़ों में सफेद, नीला और काले रंग के फूल लगते हैं। बेहद अहम मानी गई निर्गुण्डी की पत्तियां मसले जाने पर अलग प्रकार की तेज दुर्गंध देती है। सूखी पत्तियों में दुर्गंध आंशिक मात्रा में महसूस की जाती है। 


औषधीय गुणों का खजाना है निर्गुंडी

प्रकृति ने हमें कई ऐसी जड़ी- बूटियां प्रदान की है जो शरीर को स्वस्थ रखने एवं कई तरह के रोगों से बचाने का काम करते हैं। उन्हीं में से एक निर्गुंडी भी है, जो एक प्रकृति प्रदत्त जड़ी-बूटी है। सदियों से आयुर्वेद में इसकी जड़, पत्तियों, फलों और बीजों का इस्तेमाल अनेक बीमारियों से बचने के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद में निर्गुंडी का मतलब शरीर को रोगों से बचाना होता है। इसका इस्तेमाल आंतरिक एवं बाहरी दोनों रूपों में किया जाता है। निर्गुंडी के पौधे में कई तरह के बायोएक्टिव कंपाउंड पाए जाते हैं, जो कई रोगों के इलाज के लिए उपयोग में आते हैं।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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