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छत्तीसगढ़ी राज भाषा परिषद छत्तीसगढ़ का एक दिवसीय परिचर्चा सत्र मांघी पूर्णिमा एवं आदिवासी विकास मेला में आयोजित ( वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पाण्डेय अध्यक्ष बने)

छत्तीसगढ़ी राज भाषा परिषद छत्तीसगढ़ का एक दिवसीय परिचर्चा सत्र मांघी पूर्णिमा एवं आदिवासी विकास मेला  में आयोजित 
 ( वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पाण्डेय अध्यक्ष बने)

रतनपुर --- छत्तीसगढ़ी राजभाषा परिषद छत्तीसगढ़ का  एक दिवसीय परिचर्चा सत्र मांगी पूर्णिमा एवं आदिवासी विकास मेला में पं.राघवेन्द्र दुबे के मुख्य आतिथ्य में एवं परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष डा.विवेक तिवारी जी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। छत्तीसगढ़ महतारी के भावनात्मक पूजन पश्चात परिषद् के कार्यों एवं उद्देश्य पर चर्चा बातचीत करते हुए आदरणीय दुबे जी ने कहा की छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 24 साल बाद भी छत्तीसगढ़ी भाषा को 8अनुसूची में शामिल करने के लिए आन्दोलन करना पड़ रहा है, यह दुर्भाग्य जनक है। छत्तीसगढ़ी भाषा को कानूनी पहचान न मिलने के कारण  कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी भाषा बोल चाल या  कार्यालयों की भाषा नहीं बन पाई है ।छत्तीसगढ़ी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने से भाषा के गौरव के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।समाज के अंतिम व्यक्ति को सहजता से अपने कार्य पूरा कराने में सुविधा होगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ.विवेक तिवारी ने कहा की अपनी  भाषा में अपने घरों में बोलने में हमें संकोच होता है जिसके कारण भाषा को स्वीकार करने वालों की संख्या कम है। जब आम व्यक्ति छत्तीसगढ़ी भाषा को अपने दैनिक जीवन में स्थान देंगे तो भाषा का कार्य क्षेत्र बढ़ेगा और सरकार को छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करना ही पड़ेगा। चर्चा सत्र के दौरान रतनपुर के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षक श्री दिनेश पांडेय जी को उनके छत्तीसगढ़ी भाषा के साहित्यिक योगदान के लिए शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित करते हुए छत्तीसगढ़ राजभाषा परिषद रतनपुर का अध्यक्ष मनोनीत किया गया। दिनेश पाण्डेय ने बताया - छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान के 8 वीं अनुसूची में जोड़ने के लिए लगातार जनसमर्थन लेते हुए राज्य सरकार , केन्द्र सरकार व माननीय राष्ट्रपति को ज्ञापन व मांग पत्र सौंपा जाएगा। छत्तीसगढ़ी को हम सभी को दिल से अपनाना होगा।इस अवसर पर  शीतल प्रसाद पाटनवार वरिष्ठ साहित्य कार रामेश्वर शांडिल्य, दीनदयाल यादव, मुकेश श्रीवास्तव, रविन्द्र सोनी, हर्ष दुबे विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम  समाप्ती के पूर्व मेला परिसर में लोगों के बीच छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। जिसमें भारी जन समर्थन मिला।

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